वटाधोनिवासं महाट्टाट्टहासं महापापनाशं सदासुप्रकाशम् । प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।। कहे अयोध्या आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥ भक्त अपने जीवन में पैदा हुई https://shiv-chalisa-lyrics-pdf97898.blogproducer.com/36200167/shiv-chalisa-lyrics-fundamentals-explained