बूढ़ा, लाचार, इंसान अक्सर अकेला रह जाता है। रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें तन्हाई में बैठूं तो इल्ज़ाम-ए-मुहब्बत। हमारे टेलीग्राम चैनल से यहाँ क्लिक करके जुड़ें ज़ख़्म ही तेरा मुक़द्दर हैं दिल तुझ को कौन सँभालेगा लेकिन https://youtu.be/Lug0ffByUck